Friday, March 13, 2009

दोस्ती हम कर रहे हैं...!


चेहरे से दोस्त बनकर

दुश्मनी जो कर रहे हैं

ऐसे लोगों से ही हम

सहमे हुए से, डर रहे हैं

पर जो दुश्मन मुखौटों से

दूरियाँ दिल से रखे हैं

सच बताएँ उनसे ही अब

दोस्ती हम कर रहे हैं !

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9 comments:

अजित वडनेरकर said...

पेचीदा ज़माने की कविता ...

दिनेशराय द्विवेदी said...

दोस्त सब झूठे और दुश्मन सच्चे हो गए हैं।

अनिल कान्त said...

बहुत ही अलग तरीके से सच बयां किया

संगीता पुरी said...

सटीक बात की है ..

रवीन्द्र प्रभात said...

एक विचित्र सत्य को वयां करने हेतु बधाईयाँ !

नीरज गोस्वामी said...

गज़ब जैन साहेब गज़ब...ऐसे दोस्तों से दुश्मन भले...कमाल की रचना...
नीरज

गर्दूं-गाफिल said...

दोस्त मिलने की उम्मीद बची है कोई
तुम सा नही किस्मत वाला कोई
अच्छा लिखा है

Dr. Amar Jyoti said...

अनूठी अभिव्यक्ति!
बधाई।

Udan Tashtari said...

बहुत उम्दा बात कही॒!