कब तक यूँ बहारों में
पतझड़ का चलन होगा
कलियों की चिता होगी
फूलों का हवन होगा
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हर धर्म की रामायण
युग-युग से ये कहती है
सोने का हिरन लोगे
सीता का हरण होगा
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जब प्यार किसी दिल का
पूजा में बदल जाए
हर स्वर में आरती और
हर शब्द भजन होगा
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तुम गम के अंधेरों से
मायूस हो न जाना
हर रात की मुट्ठी में
सूरज का रतन होगा
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प्रो.उदयभानु 'हंस' की रचना
हरिभूमि से साभार.
4 comments:
तुम गम के अंधेरों से
मायूस हो न जाना
हर रात की मुट्ठी में
सूरज का रतन होगा
बहुत सुंदर
jab piar kisi dil ka pooja me badal jaye har svar arti hoga har shabad bhajan hoga bahut sunder abhivyakti hai badhai
Adbhut rachna...
Neeraj
WAAH BOHOT SUNDER.....AUR ALAG
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