Thursday, March 26, 2009

सीता का हरण होगा.


कब तक यूँ बहारों में

पतझड़ का चलन होगा

कलियों की चिता होगी

फूलों का हवन होगा

***

हर धर्म की रामायण

युग-युग से ये कहती है

सोने का हिरन लोगे

सीता का हरण होगा

***

जब प्यार किसी दिल का

पूजा में बदल जाए

हर स्वर में आरती और

हर शब्द भजन होगा

***

तुम गम के अंधेरों से

मायूस हो न जाना

हर रात की मुट्ठी में

सूरज का रतन होगा

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प्रो.उदयभानु 'हंस' की रचना

हरिभूमि से साभार.

4 comments:

MANVINDER BHIMBER said...

तुम गम के अंधेरों से

मायूस हो न जाना

हर रात की मुट्ठी में

सूरज का रतन होगा
बहुत सुंदर

निर्मला कपिला said...

jab piar kisi dil ka pooja me badal jaye har svar arti hoga har shabad bhajan hoga bahut sunder abhivyakti hai badhai

नीरज गोस्वामी said...

Adbhut rachna...

Neeraj

Puneet said...

WAAH BOHOT SUNDER.....AUR ALAG