Wednesday, April 1, 2009

तुम लिखो कविता.


तुम लिखो कविता...
जब समय बहुत
खुदगर्ज़ होता है
अपना आसपास बहरा
कर जाता है
तुम लिखो कविता...
तरंगों की झंकार के लिए
मैं अपने समूचे
अस्तित्व को
बदल दूँ किसी पिरामिड में
फ़िर भी तरंगें
गूंजती रहें तुम्हारे आसपास
तुम लिखो कविता...
पिरामिडों में भी
गूंजे कोई संगीत
नृत्य झंकार उठे
कोई तान सदियों को
पार करती हुई
सुरों में तब्दील हो जाए
तुम लिखो कविता...
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देशबंधु में श्री दामोदर खड़से की कविता साभार.

12 comments:

मुकेश कुमार तिवारी said...

चंद्र कुमार जी,

आपका आभार, एक बहुत अच्छी कविता श्री दामोदर खड़से की " तुम लिखो कविता " पढवाने के लिये.

ये पंक्तियाँ मुझे बहुत ही अच्छी लगी :-
पिरामिडों में भी
गूंजे कोई संगीत
नृत्य झंकार उठे
कोई तान सदियों को
पार करती हुई
सुरों में तब्दील हो जाए
तुम लिखो कविता...

श्री दामोदर जी को बधाईयाँ.
धन्यवाद.

मुकेश कुमार तिवारी

परमजीत सिहँ बाली said...

अच्छी रचना प्रेषित की है।आभार।

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया लिखा ... बधाई।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

प्रियवर डॉ.चन्द्र कुमार जैन जी।
श्री दामोदर खड़से की " तुम लिखो कविता " पढवाने के लिये. धन्यवाद।

mehek said...

पिरामिडों में भी
गूंजे कोई संगीत
नृत्य झंकार उठे
कोई तान सदियों को
पार करती हुई
bahut hi sunder

Udan Tashtari said...

हमेशा की तरह बेहतरीन प्रस्तुति!!

मोहन वशिष्‍ठ said...

वाह जी बहुत ही अच्‍छी कविता है साभार

हरकीरत ' हीर' said...

तुम लिखो कविता...
पिरामिडों में भी
गूंजे कोई संगीत
नृत्य झंकार उठे
कोई तान सदियों को
पार करती हुई
सुरों में तब्दील हो जाए
तुम लिखो कविता...

मै लिखूं कविता सुरों में
बादलों के सीने पर
जब रिमझिम बरसे सावन
तुम ढूंढ़ना मुझे बूंदों में......!!

दर्पण साह said...

तुम लिखो कविता...
तरंगों की झंकार के लिए....


...WAH KAVITA LIKHNE WALE AISE HONE CHAHIYE OR UNKI SOCH BHI AISI...

...TUM LIKHO KAVBITA !! PHIR AISI HI !!

नीरज गोस्वामी said...

क्या शब्द हैं...वाह...लाज़वाब
नीरज

Alpana Verma said...

sanjeev ji ki post padh kar yahan pahunchey hain...
kavita bahut achchee lagi.

abhaar is kavita ko padhwane hetu ..aur aap ko सर्वश्रेष्‍ठ टिप्‍पणीकार 'samman prapti par badhaayee

अनुपम अग्रवाल said...

अच्छी कविता पढ्वाने के लिये धन्यवाद और बधाई