चंदन के लिए मर
किसी कंचन के लिए मर
चाहे तू किसी रूप के
दर्पण के लिए मर
लेकिन तेरा मरना तो
कोई मौत नहीं दोस्त
मरना ही है तो शान से
वतन के लिए मर।
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श्री मुकुंद कौशल की रचना साभार
Saturday, April 25, 2009
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2 comments:
बहुत बढिया!मरना ही है तो शान से
वतन के लिए मर।
काश यह बात हमारे नेता समझ पाते ।
या हम ही समझकर नेता बन जाते ।।
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