Wednesday, May 20, 2009

सिर्फ़ एक शेर...!

ज़मीर काँप तो जाता है आप कुछ भी कहें
वो हो गुनाह से पहले कि हो गुनाह के बाद
गवाह चाह रहे थे वो मेरी बेगुनाही का
ज़बां से कह न सका कुछ 'ख़ुदा गवाह' के बाद
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शायर - कृष्ण बिहारी 'नूर'

4 comments:

नीरज गोस्वामी said...

वाह जैन साहेब वाह...नूर साहेब मेरे बहुत पसंदीदा शायर हैं...उनकी रचना पढ़वा कर दिन बना दिया आपने...इनदिनों आप का लिखा पढने को नहीं मिल रहा न ही आप कहीं नज़र आ रहे हैं...उम्मीद करता हूँ की आप सकुशल होंगे...
नीरज

लोकेन्द्र विक्रम सिंह said...

बहुत ही खूबसूरत शेर प्रस्तुत किया है आपने....

अनुपम अग्रवाल said...

अब समझ में आया कि आप इतना अच्छा क्यों लिखते हैं .

आप अच्छा पढ़्ते हैं तो अच्छा लिखते हैं .

अमिताभ मीत said...

काफ़ी है साहब .... काफ़ी है .... बहुत है .... कमाल है ... बस कमाल है !