कभी डायरी पलटा कर भी दिखाईये..पुराने पन्ने!! उम्दा रचना!
सुरेश ऋतुपर्ण जी को बधाई।सुन्दर कविता को ब्लॉग पर प्रकाशितकरने के लिए आपका आभार!
सुरेश ऋतुपर्ण जी को बधाई।
और डायरी का बना दिया है ब्लॉगपंख की बन रही हैजो आगउससे जलेंगी समस्याएंतभी पड़ सकता है चैनक्योंकि सही कहा है मैंनेमित्र डॉ. चन्द्रकुमार जैन।
waah beharin rachana,kitne hi pankh jama ho gaye honge,yaadon mein ghul gaye honge.
वाह बहुत सुंदर... "यह चि्डियां का पंख" जबाब नही जी.धन्यवाद
वाह वाह वाह ......... क्या बात कही.....वाह....सचमुच एक एक कर सभी पंख झड़ जाया करते हैं....
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8 comments:
कभी डायरी पलटा कर भी दिखाईये..पुराने पन्ने!! उम्दा रचना!
सुरेश ऋतुपर्ण जी को बधाई।
सुन्दर कविता को ब्लॉग पर प्रकाशित
करने के लिए आपका आभार!
सुरेश ऋतुपर्ण जी को बधाई।
और डायरी
का
बना दिया है ब्लॉग
पंख की बन रही है
जो आग
उससे जलेंगी समस्याएं
तभी पड़ सकता है चैन
क्योंकि सही कहा है मैंने
मित्र डॉ. चन्द्रकुमार जैन।
waah beharin rachana,kitne hi pankh jama ho gaye honge,yaadon mein ghul gaye honge.
सुरेश ऋतुपर्ण जी को बधाई।
सुन्दर कविता को ब्लॉग पर प्रकाशित
करने के लिए आपका आभार!
वाह बहुत सुंदर... "यह चि्डियां का पंख" जबाब नही जी.
धन्यवाद
वाह वाह वाह ......... क्या बात कही.....वाह....
सचमुच एक एक कर सभी पंख झड़ जाया करते हैं....
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