Friday, April 18, 2008

चाहत का चेहरा .


काश !
एक पल ही सही
बन जाएँ मेरी आँखें
एक ऐसे आइने की तरह
कि जो चाहे
देख सके इसमें
अपना सबसे सुंदर और
मनचाहा अक्स !
कि जी सके
अपनी ही चाहत का चेहरा
हर शख्स !
मेरी आँखों में
पल भर ही सही
काश........!!!

4 comments:

Udan Tashtari said...

काश...!!!!!!!

बहुत खूब-काश..!!! ऐसा हो पाये/

डॉ .अनुराग said...

आमीन......

राज भाटिय़ा said...

धन्यवाद सुन्दर कविता के लिये

नीरज गोस्वामी said...

जैन साहेब
विलक्षण रचना...बहुत सुंदर शब्द और भाव. बधाई. काश ऐसा सबके साथ हो.
नीरज