गगन के मुक्त ख़्वाबों का
धरा से प्यार मुमकिन है
न दुनिया हो मुक़म्मल पर
यहाँ घर-बार मुमकिन है
कि जब तक आँख में पानी
हृदय में आग जीवित है
अंधेरे में उजाले का
खुले दरबार मुमकिन है
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कि जब तक आँख में पानीहृदय में आग जीवित है अंधेरे में उजाले का खुले दरबार मुमकिन है bahut badhiya...kam shabdon mein badi baat .
पल्लवी जी,समय निकालकर आपनेयहाँ अपनी शुभकामना दीऔर मंतव्य भी...आभार======================डॉ.चन्द्रकुमार जैन
प्रेरणा भरी आशावादी कविता ! बहूत अच्छी.
प्रिय अभिषेक जीधन्यवाद और शुभकामनाएँ=====================डॉ.चन्द्रकुमार जैन
सीधे...सरल शब्दों में सच्ची बात
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5 comments:
कि जब तक आँख में पानी
हृदय में आग जीवित है
अंधेरे में उजाले का
खुले दरबार मुमकिन है
bahut badhiya...kam shabdon mein badi baat .
पल्लवी जी,
समय निकालकर आपने
यहाँ अपनी शुभकामना दी
और मंतव्य भी...आभार
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
प्रेरणा भरी आशावादी कविता ! बहूत अच्छी.
प्रिय अभिषेक जी
धन्यवाद और शुभकामनाएँ
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डॉ.चन्द्रकुमार जैन
सीधे...सरल शब्दों में सच्ची बात
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