न जाने दीप कितने रोज़ जलते और बुझते हैं मगर जो चल रहे हैं लोग बोलो कब वो रुकते हैं कभी गर कारवां बन जाए तो तय है बताऊँ मैं मिलेगी एक दिन मंज़िल भले रस्ते बदलते हैं। ================
अडबड दिन बाद आपके ब्लाग म आयेंव जैन साहब, आपके कबिता मन ला पढ के तो हिरदे गदगद हो जथे, अंतस के भूख अउ बाढ जथे, अइसे लागथे कि जैन साहब ह येला मोरे बर लिखे हे ।
Bilkul sahi kaha- Milegi ek din manzil, bhale hi raste badalte hain. Jain saheb, aapki chhoti hon ya badi, sabhi rachnayen ucchh koti ki hoti hain, badhai.
12 comments:
कभी गर कारवां बन जाए
तो तय है बताऊँ मैं
मिलेगी एक दिन मंज़िल
भले रस्ते बदलते हैं।
wah bahut badhiya
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
कभी गर कारवां बन जाए
तो तय है बताऊँ मैं
मिलेगी एक दिन मंज़िल
भले रस्ते बदलते हैं।
मिलेगी एक दिन मंज़िल
भले रस्ते बदलते हैं।
बहुत सुन्दर रचना है।
bahut badhiya.
bahut badhiya.
prakhar abhivyakti.
http://www.ashokvichar.blogspot.com
बहुत खूब, जैन साहब!!!
अडबड दिन बाद आपके ब्लाग म आयेंव जैन साहब, आपके कबिता मन ला पढ के तो हिरदे गदगद हो जथे, अंतस के भूख अउ बाढ जथे, अइसे लागथे कि जैन साहब ह येला मोरे बर लिखे हे ।
Bilkul sahi kaha- Milegi ek din manzil, bhale hi raste badalte hain. Jain saheb, aapki chhoti hon ya badi, sabhi rachnayen ucchh koti ki hoti hain, badhai.
न जाने दीप कितने रोज़
जलते और बुझते हैं
मगर जो चल रहे हैं लोग
बोलो कब वो रुकते हैं
Really great.....
U have a deep eyes...
http://dev-poetry.blogspot.com/2008/08/blog-post_3922.html
आमीन.....
विजयादशमी की शुभकामनाएं
Pehlee baar aapke blogpe aayee...harek kavita/rachana behad pasand aayee...mukhodgat karneka man hai...Kin, kin alfaazonko dohraunMere blogpe aaneka snehil nimantran detee hun!
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