आदरणीय डा. सा. रचना बहुत सुंदर लिखी है - हर जीवन में मुस्काता मधुमास नहीं होता।। हर सुमन में सुरभि का वास नहीं होता / कबीरदास की रचना याद आती है की हर हाथी में मोती नहीं होते , हर पर्वत पर चंदन नहीं होते ,हर चमकती हुई वस्तु हीरा नहीं होती और हर हिरन में कस्तूरी नहीं होती / व्यक्ति अपने कर्मो को सुधार कर ही इस भव सागर से तीर सकता है / कोई भी व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता सभी अपने कर्मो से ही महान बनते है /
5 comments:
आदरणीय डा. सा. रचना बहुत सुंदर लिखी है - हर जीवन में मुस्काता मधुमास नहीं होता।। हर सुमन में सुरभि का वास नहीं होता / कबीरदास की रचना याद आती है की हर हाथी में मोती नहीं होते , हर पर्वत पर चंदन नहीं होते ,हर चमकती हुई वस्तु हीरा नहीं होती और हर हिरन में कस्तूरी नहीं होती / व्यक्ति अपने कर्मो को सुधार कर ही इस भव सागर से तीर सकता है / कोई भी व्यक्ति जन्म से महान नहीं होता सभी अपने कर्मो से ही महान बनते है /
डॉ साहेब
हर चांदनी रात में इंतज़ार नहीं होता
हर आशिक दमदार नहीं होता
हर पति वफादार नहीं होता
सच कहा आपने....जैन साहेब.
नीरज
बहुत अच्छा मुकतक
बहुत ही सुंदर है आप की कविता.
धन्यवाद
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