Monday, November 24, 2008

जीवन क्या है...!

जीवन क्या है एक भयंकर

अति बीहड़ जंगल है !

तेज रोशनी वालों को

इसमें दिखता मंगल है !!

और शेष तो इसमें आकर

भटक-भटक जाते हैं !

अल्प जीतते,अधिक हारते

यह तो वह दंगल है !!

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4 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

जीवन को देखने का सब का अपना अपना नजरिया है।आप ने अपने मनोभावॊ को बहुत सुन्दरता से प्रस्तुत किया है।बधाई।

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर लिखा आप् ने.
धन्यवाद

नीरज गोस्वामी said...

जीवन की इस परिभाषा ने गदगद के दिया...आप की विलक्षण लेखनी को प्रणाम
नीरज

Anil Pusadkar said...

ज़िँदगी को देखने का ये नज़रिया पसँद आया.सुँदर भाव.