दो रातों के बीच सुबह है
दोष न उसको देना साथी
दो सुबहों के बीच रात भी
एक ही जीवन में है आती !
आगत का स्वागत करना है
विगत क्लेश की करें विदाई,
शाम बिखरकर, सुबह जो खिलीं
कलियाँ कुछ कहतीं मुस्कातीं !
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बहुत खुब, सुख दुख सभी लगे ही रहते है रात ओर सुबह की तरह. धन्यवाद
दो रातों के बीच सुबह है दोष न उसको देना साथीदो सुबहों के बीच रात भी एक ही जीवन में है आती !bhot khoob kaha Chandra kumar ji....
ji sach kahte hain sukh dukh to lage hi hairaat aur din ka aana jana hi jivan hai
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3 comments:
बहुत खुब, सुख दुख सभी लगे ही रहते है रात ओर सुबह की तरह.
धन्यवाद
दो रातों के बीच सुबह है
दोष न उसको देना साथी
दो सुबहों के बीच रात भी
एक ही जीवन में है आती !
bhot khoob kaha Chandra kumar ji....
ji sach kahte hain sukh dukh to lage hi hai
raat aur din ka aana jana hi jivan hai
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